क्या आप जानते हैं देश मे करीब 27 हजार नवजात सुन नही पाते हैं, इसके पीछे का कारण जानिए, 27 lack children have disability to hearing, reason behind it

मे हर साल 27 हजार लोग सुनने की असमर्थता के साथ जन्म लेते हैं और विश्व मे भी इनकी संख्या 3.6 करोड़ है। सुनने में असमर्थता को भारत मे उपेक्षा की चीज है। यहां सुविधाओं में कमी के कारण लोगो की इच्छा होते हुए भी वह परेशानी झेल रहे है। इसका कारण वंशानुगत, प्रसव के दौरान, गर्भावस्था के दौरान समस्या के कारण भी हो जाता है। प्रसव के दौरान माताओं के साईटोक्सिक और एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में आने, नवजात को होने वाला पीलिया, दम घुटना/हाईपोक्सिया, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, टोर्च संक्रमण आदि भी बहरेपन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में इस परेशानी से अधिक ग्रसित है। कुल मिलाकर 6.3 फीसदी लोग इससे पीड़ित हैं।

डेढ़ से तीन साल के बच्चों में पर्याप्त वार्ता और भाषा का विकास नही हो पाता जिससे इन्हें संकेत पहचानने में दिक्कत आती है। बहरेपन का पता लगाने के लिए दो चरणों मे अलग-अलग जाँच की जाती है।इलेक्ट्रोफिजीयोलोजीकल उपायों ओएई और एबीआर का उपयोग करके विभिन्न असफल पैटर्न का पता लगाया जा सकता है।

यह आयू पर भी निर्भर करता है जन्म से चार महीने तक का नवजात जोर की आवाज से जागता है या हलचल करता है, जोर की आवाज से चौंकता है, परिचित की आवाज से शांत हो जाता है, उसकी आवाज ओर प्रतिक्रिया भी देता है।

चार से नौ महीने तक का बच्चा परिचित आवाज की तरफ अपनी आंखें मोड़ता है, बात करने पर हंसता है, झुनझुने की आवाज की तरफ आकर्षित होता है। इसके अलावा 9 से 16 महीने तक का बच्चा नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया देता है, आवाज में स्वर के परिवर्तन का जबाब देता है, मा या पापा भी कहने लगता है। साधारण निर्देश को समझता है और आपकी आवाज को भी दोहराने लगता है।

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