अपने स्मार्टफोन की मदद से छुपा हुआ कैमरा खोज सकते हैं , हिडन कैमरा को कैसे पता करें, hiw to find hidden camera

इलेक्ट्रो मैग्नेटिक क्षेत्र को सुनने के लिए अपने सेल फोन का उपयोग करें। अपने सेलफोन पर कॉल करें, फिर डिवाइस की तरफ झुकाएं, जहां आपको लगता है कि कोई कैमरा या माइक्रोफ़ोन हो सकता है। यदि आप कॉल पर एक क्लिक की आवाज सुनते हैं, तो इसका मतलब है कि आपका फोन एक इलेक्ट्रो मैग्नेटिक क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है।

टू वे मिरर- अपने होटल रूम और चेंजिंग रूम में टू वे मिरर को चेक कर लेना चाहिए। प्रत्येक दर्पण भले ही दीवार के साथ लगा हो या एक फ्रेम में रखा हो इसके पीछे कुछ भी नहीं होना चाहिए, इसे खोजने के लिए सभी क्षेत्रों में इसे टैप करें, अगर यह आपको खोखले ध्वनि देता है, तो इसके पीछे कुछ हो सकता है। इसका दूसरा तरीका फिंगर नेल टेस्ट है, अपनी उंगली के नाखून को दर्पण पर 90 के एंगल से टच करे। यदि उंगली का नाखून और उसका प्रतिविम्ब के बीच गैप न हो तो यह टू वे मिरर हो सकता है, जबकि सामान्य दर्पण में कुछ mm का गेप होता है।
    निगरानी के उपयोग करने वाले कैमरे नाईट विज़न वाले भी होते हैं, जिससे रात में भी निगरानी हो सके। वह इंफ्रारेड एलईडी का उपयोग इंफ़्रारेड लाइट को उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, और यह इंफ़्रा रेड कैमरे को ही दिखाई देती है। कमरे की सारी लाइट बुझा दे इसके बाद स्मार्टफोन के कैमरे से रूम का निरीक्षण करें, यदि हमे लाल और बैंगनी रंग की लाइट दिखाई दे तो यह नाईट विज़न कैमरा हो सकता है।

स्मार्टफोन की फ़्लैश लाइट भी कैमरा को ढूंढने में मदद कर सकती है। फ्लैशलाइट एप्प डाउनलोड करे और फ़्लैश लाइट को लगातार ऑन और ऑफ वाली मोड पर लगा कर सारे रूम का निरीक्षण करें। यदि कैमरा होगा तो उसमें लाल डॉट लाइट कैमरे से रिफ्लेक्ट होकर आएगी। कुछ माइक्रोफोन में पावर इंडिकेटर लाइट का फंक्शन होता है और लगाने वाला केयरलेस हो तो वह इस फीचर को बंद करना भी भूल सकता है, ऐसे में कुछ छोटे गति संवेदनशील कैमरे अश्राव्य क्लिक या बज्ज की आवाज निकलते हैं।

कमरे की सारी लाइट बंद कर लें फिर लाल या हरे रंग के एलईडी से चारो तरफ उजाला करके देखें, लाइट बंद करने के बाद टॉर्च की रोशनी से सभी दर्पण का निरीक्षण करें, इससे दर्पण एक तरफ से पारदर्शी हो जाएगा जिससे कैमरा दिख सकता है। अंधेरे में पिनहोल कैमरा को देखें, खाली टॉयलेट पेपर को मोड़ लें और आंख से लगा ले और एक आंख को बंद कर ले जैसे दूरबीन हो फिर फ्लैशलाइट जलाएं, देखे की कहीं कोई चमक वापस हमारी आंखों में तो नही आ रही हैं।

इसके अलावा कुछ गैजेट भी हमें कैमरे को ढूढ़ने में काम आ सकते हैं। RF (रेडियो फ्रीक्वेंसी) सिग्नल डिटेक्टर और बग डिटेक्टर खरीद कर ले आये और हमारे घर और रूम में लगा लें। RF उपकरण छोटे, सस्ते और उपयोग के लिए आसान होते हैं, जबकि बग्स त्वरित फ्रीक्वेंसी जो फैले हुए क्षेत्र की फ्रीक्वेंसी में होती हैं, उन्हें पकड़ने में काम आ सकता है, जिन्हें RF नही पकड़ पाता, जिसके लिए थोड़े अनुभव की जरूरत होती है।

हमे अपने कमरे में भी फिजिकल तरीके से भी कैमरे को ढूंढने की कोशिश करें। अपने कमरे का अच्छे से निरीक्षण करें। ऐसी कोई चीज जो अपनी जगह से हटकर दिखाई दे जैसे कि फूलों का गुलदस्ता, दीवार पर लगी पेंटिंग, लेम्पशेड जो समान्य दिखाई न दे, स्मोक डिटेक्टर, स्पीकर ऐसी ही चीजे जिन्हें आपने नही रखा हो या अपनी जगह से अलग दिखाई दे रही हो उनमें कैमरा हो सकता है। इसके अलावा फूलों के गमले के अंदर, लाइट डिज़ाइन ऐसी चीजें हैं जिनमे माइक्रोफोन लगाया जा सकता है। सोफे के कुशन, अलमारियों के ऊपर नीचे छोटे कैमरों को छुपाने के लिये काम में लाये जा सकते हैं।

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अब स्काईप भी चला व्हाट्सएप, गूगल की राह, Skype also introduce end to end encryption

अब जल्दी ही हमे स्काईप का नया अपडेट मिलने वाला है,जिसमें सभी मेसेज एन्क्रिप्टेड होंगे। व्हाट्सएप यह फीचर पहले ही ला चुका है। Skype में भी व्हाट्सएप, फेसबुक और गूगल एलो की ही तरह सुरक्षा के लिए इसमें एन्क्रिप्शन किया जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट ने इसमें एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्शन करने की घोषणा की है, जो कि नए प्रीव्यू में बताया गया है। एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्शन में सिर्फ वेलिड ऑथोरिटी यानी मेसेज भेजने वाला और प्राप्त करने वाला ही पड़ पायेगा।
    अगर और कोई इसे पढ़ने का सोचेगा तो उसे कुछ शब्द और अंक ही दिखाई देंगे जिसे वह पड़ने में असमर्थ होगा। इससे हैकर और गवर्नमेंट भी इसे नही पढ़ पाएगी। अभी स्काइप के कॉल और मेसेज एन्क्रिप्टेड होते हैं पर एन्ड तो एन्ड नही होते हैं। कोई गोपनीय जानकारी भेजने के लिए एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्शन ज्यादा सही होता है।

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कहीं आपके आधार का उपयोग किसी और ने तो नही किया, जानें इसे चेक करने का आसान तरीका, your aadhar card data can not be misused use security

आधार कार्ड का उपयोग अलग-अलग कामों के लिए किया जाता है। इसमें डर भी बना रहता है कि कही इसका कोई गलत इस्तेमाल न कर लें। आधार कार्ड के द्वारा बहुत सारे काम किये जा सकते हैं। 1 मार्च 2018 से तो नये सिम के लिए भी आधार कार्ड का सत्यापन भी जरूरी हो जाएगा, इस तारीख से पहले आपके बर्तमान मोबाइल नम्बरों को आधार से लिंक करना जरूरी है। इसके अलावा वर्चुअल आईडी भी 1 जून 2018 से उपयोग करना शुरू हो जाएगी। आप चाहें तो जान सकते हैं कि आपके आधार डेटा का उपयोग ऑथेंटिफिकेशन के लिए कब-कब इस्तेमाल हुआ है। आपको सबसे पहले UIDAI के ऑथेंटिफिकेशन हिस्ट्री पेज पर जाना है वहाँ आधार नंबर डालना है और साथ मे इमेज के साथ जो केप्चा कोड दिख रहा है उसे भी डाल देना है। इसके बाद जेनरेट OTP पर क्लिक करना है, इसके बाद वन टाइम पासवर्ड उसी मोबाइल पर आएगा जिसे हमनें आधार कार्ड के रजिस्ट्रशन के समय दिया था। इसके बाद आपको अलग अलग ऑथेंटिफिकेशन रिक्वेस्ट को फ़िल्टर करने की सुविधा मिलेगी।

आप बॉयोमेट्रिक, डेमोग्राफिक और अन्य तरीके के फ़िल्टर लगा सकतें हैं। यहाँ पर आप किसी खास तिथियों के बीच में भी जाँच कर सकते हैं। इसकी सीमा 6 महीने की है, यानी कि पिछले 6 महीने में आपके आधार कार्ड का उपयोग किन चीजों के लिए किया गया है किस तरह की चीजों के वेरीफिकेशन के लिए किया गया है ये आप पता कर सकते हैं। इस तरह से आधार ऑथेंटिफिकेशन का विस्तृत व्यौरा देख सकते हैं। ये आप नही जान पाएंगे कि किस कंपनी या एजेंसी ने ऑथेंटिफिकेशन के लिये आपके आधार डेटा का उपयोग किया है। आपको बता दे कि आधार बॉयोमेट्रिक डेटा को आप ऑनलाइन लॉक एवं अनलॉक कर सकते हैं ताकि इसका कोई गलत उपयोग नही कर सके।
   कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने आधार कार्ड का उपयोग नही किया है लेकिन उनको UIDAI से ईमेल आया है कि आपके डेटा को बॉयोमेट्रिक ऑथेंटिफिकेशन के माध्यम से एक्सेस किया गया है, इस परिस्थिति से भी आप बच सकते हैं। सबसे जरूरी ये है कि कोई भी सरकारी कार्यालय या बैंक फ़ोन या ईमेल पर आपकी कोई भी गोपनीय या व्यक्तिगत जानकारी नहीं पूछता। आधार नंबर की जानकारी फ़ोन या ईमेल से नही पूछी जाती है। आपको स्पष्ट हो गया होगा कि कोई आपसे फ़ोन पर आपके आधार नंबर की जानकारी मांगे तो आपको नही देना है।

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गैस सब्सिडी धारकों को बहुत महत्त्वपूर्ण सूचना, Lpg gas subsidy user important notice

भारत सरकार गैस सिलिंडर पर सब्सिडी देती है ताकि हर घर मे गैस सिलिंडर हो और आम आदमी इसका फायदा उठा सके, ऐसे में जरूरी है कि सब्सिडी का पैसा सही एकाउंट में जाये। हाल ही में ऐसे मामले आये हैं कि सब्सिडी का पैसा किसी और के एकाउंट में चले गए या सब्सिडी नही आई। इसके लिए आपको अपना स्टेटस चेक करना चाहिए। आइये हम आपको बताते हैं कि ये काम कैसे किया जा सकता है।
    ओनलाइन सब्सिडी स्टेटस रिपोर्ट देखने के लिए माईएलपीजी.ईन वेबसाइट पर जाना होगा। इस वेवसाईट पर तीन गैस कंपनियों के नाम मिलेंगे। आपने जिस कंपनी का गैस कनेक्शन लिया है उसे सिलेक्ट करना होगा, जहाँ पर एक पेज खुलेगा। इस पेज पर कई विकल्प खुलेगें, जिसमे हमे ऑनलाइन फीडबैक वाले ऑप्शन पर क्लिक करना है। इसके बाद कसटूमर केयर सिस्टम का एक पेज खुलेगा जिसमें आपको डिटेल भरना होगा। जैसे कि अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और LPG आईडी इसे डालते ही सारी जानकारियां मिल जाएगी कि सब्सिडी की राशि कितनी थी और कब डाली गई।इस तरह से पता चल जाएगा कि सब्सिडी आपके एकाउंट में जा रही है या और किसी के एकाउंट में।

अगर आपके पास इंटरनेट सुविधा नही है तो आप टोल फ्री नंबर 18002333555 है, जहाँ आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

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आधार कार्ड से जुड़ी बातें जो आपको जानना जरूरी है, aadhar card related some essential points

आधार ने 119 करोड़ भारतीयों को एक विश्वसनीय पहचान प्रदान की है। आज का तथ्य यह है कि आधार किसी भी अन्य पहचान की तुलना में अधिक विश्वास और विश्वास को प्रेरित करता है। भारत में दस्तावेज, उदाहरण के लिए यदि आप बेतनभोगी हैं तो आपकी तो कौन सी पहचान है, कौन से दस्तावेज़ आप अपने संभावित कर्मचारियों से लेना पसंद करेंग? घरेलू सहायता कर्मी, वाहन चालक, बस्तियों और गांवों में रहने वाले अपनी पहचान साबित करने के लिए आधार का उपयोग कर रहे हैं। नौकरियों, बैंक खाते खोलना , रेल यात्रा के लिए, और विभिन्न अधिकारों और सरकारी लाभ सीधे प्राप्त करने के लिए आप अपने आधार का उपयोग कर सकते हैं।
      आधार में आपका नाम, पता, जन्म तिथि, जेंडर, दस उंगलियों के निशान, आंखों के रेटिना का स्कैन, चेहरे का फोटोग्राफ, मोबाइल नम्बर एवं ईमेल आईडी की जानकारी ही डेटाबेस में होती है, अन्य जानकारी जैसे जाति, धर्म, शिक्षा, बैंक एकाउंट, शेयर, म्यूच्यूअल फण्ड, फिनांफ़ियाल एंड प्रोपेर्टी डिटेल, हेल्थ रिकॉर्ड की जानकारी UIDAI के डेटाबेस में नही होती है। जब आप अपना आधार नंबर बैंक एकाउंट, म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियों, मोबाइल फोन कंपनियों को देते हैं तो वो आपका नाम, बॉयोमेट्रिक आदि की जानकारी को UIDAI को सत्यापन के लिए भेजते हैं ताकि आपकी पहचान हो सके, वो आपकी बैंक डिटेल UIDAI को नही देते हैं।
       अगर कोई अपना आधार नंबर जान लेता है, तो उसका उपयोग कर आपके बैंक खाते से पैसे नही निकाल सकता क्योंकि सिर्फ आपके एटीएम कार्ड नंबर को जानकर कोई भी आपके आधार को जानकर एटीएम मशीन से पैसे नही निकाल सकता हैं, यदि आप बैंक द्वारा दिए गए आपके पिन / ओटीपी में शामिल नहीं हैं, तो आपका बैंक खाता सुरक्षित है। सभी बैंक खाताधारकों की पहचान सत्यापित करना आवश्यक है जिससे धोखेबाज, मनी-लाउन्डरर्स, अपराधियों इत्यादि खातों को बाहर निकाल सकें और आधार के माध्यम से ऐसे धोखेबाज आसानी पता लगाएं जा सकते हैं और उन्हें सजा दी जा सकती है। इसलिए आधार के साथ अपने बैंक खातों को जोड़कर आपका खाता बन जाता है और अधिक सुरक्षित। अपने देश की सुरक्षा, सभी मोबाइल सब्सक्राइबरों की पहचान, मोबाइल नंबर धोखाधड़ी, मनी-लाउन्डर्स, अपराधियों आदि और उन्हें बाहर निकालने के लिए आधार के साथ लिंक करें। यह पाया गया है कि ज्यादातर अपराधियों और आतंकवादियों ने सिम कार्ड जिसके नाम पर जारी किए हैं उन्हें पता भी नही है। जब हर मोबाइल नंबर का सत्यापन किया जाता है और आधार से जोड़ा जाता है, तब धोखेबाज, अपराधियों और आतंकवादियों को मोबाइल की आसानी से पहचान की जा सकती है। आपकी आधार से जुड़ी बॉयोमेट्रिक जानकारी कभी भी मोबाइल कंपनियों के पास स्टोर नही हो सकती है क्योंकि यह एन्क्रिप्टेड है जैसे ही आप फिंगर को फिंगर स्कैन पर रखते हैं सत्यापन के लिए एन्क्रिप्टेड डाटा UIDAI में वेरीफाई के लिये जाता है। आधार केवल भारत के निवासियों के लिए है, अनिवासी भारतीय (NRI) आधार के लिए पात्र नहीं हैं। अगर आधार कार्ड नही बना है तो राशन और पेंशन जैसी सुविधाओं को बिना आधार कार्ड के बने हुए भी प्राप्त किया जा सकता है, फिर पहचान के लिए अल्टरनेट मेथड का सहारा लिया जाएगा।आधार वेबसाइट से ई-आधार कानूनी तौर पर मान्य है। UIDAI द्वारा जारी मूल आधार एजेंसियों द्वारा स्वीकार्य होना चाहिए।.               

       वास्तव में डाउनलोड किए गए ई-आधार ने आधार धारकों के पते आदि अपडेट किए होते हैं, इसलिए बेहतर होना चाहिए। अगर कोई भी डाउनलोड किए गए ई-आधार को स्वीकार करने से इनकार करता है तो आधार धारक उन विभागों / एजेंसियों के उच्च अधिकारियों के साथ शिकायत दर्ज करें। पिछले 7 सालों के दौरान आधार डेटाबेस का कभी भी उल्लंघन नहीं हुआ है। सभी आधार धारकों का डेटा सुरक्षित है।आधार के आसपास की कहानियां डेटा का उल्लंघन ज्यादातर गलत रिपोर्टिंग के मामलों हैं। UIDAI अपने डेटा को सुरक्षित और सुरक्षित बनाए रखने के लिए उन्नत सुरक्षा तकनीक का उपयोग करता है और उन्हें अपग्रेड कर रहा है। आपको हमारी जानकारी पसन्द आये तो हमे लाइक, शेयर करें और सब्सक्राइब /फॉलो जरूर करें।

कहीं आपका मोबाइल अधिक रेडिएशन तो नही छोड़ रहा है इसे चेक करने का आसान तरीका, how to check Mobile radiation level

मोबाइल रेडिएशन न केवल पशु-पक्षियों बल्कि मानव के लिए भी हानिकारक है। टेक्नोलॉजी के दिग्गजों का कहना है कि जिस गैजेट से लोग एक मिनट भी दूर नही रह सकते असल मे वह एक साइलेंट किलर है। मोबाइल रेडिएशन से मानशिक अवसाद तो होता ही है, इसके अलावा कई घातक बीमारियां भी हो सकती हैं।भारत सरकार ने मोबाइल रेडिएशन के लिए मानक भी तय कर रखा है। इससे ज्यादा रेडिएशन देने वाले मोबाइल कंपनियों की बिक्री पर प्रतिवंध लगा दिया गया है। INSARL यानी इंडियाज़ नेशनल स्पेसिफिक एब्जॉर्बेसन रेट लिमिट के अनुसार मोबाइल रेडिएशन का मानक 1.6 वाट प्रति किलो से ज्यादा नही होना चाहिए।
       जबकि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इस बात की परवाह किये बिना अपने मोबाइल भारत मे धड़ाधड़ उतार रहीं हैं। अगर यूजर अपने मोबाइल पर रेडिएशन का लेवल चेक करना चाहते हैं तो उन्हें अपने मोबाइल से *#07# डायल करना होगा ऐसा डायल करते ही मोबाइल पर रेडिएशन संबंधित जानकारी आ जायेगी। इसमें दो तरह के लेवल दिखाए जाएंगे एक हेड और दूसरा बॉडी। हेड यानी कि मोबाइल पर बात करते हुए रेडिएशन का लेवल और बॉडी यानी कि मोबाइल चलाते समय या जेब मे रखे हुए रेडिएशन का लेवल। इस तरह हमे अपने मोबाइल फ़ोन के रेडिएशन का लेवल का पता चल जाएगा। आप भी सतर्क रहिये और मोबाइल फ़ोन खरीदते समय इस तरह की जानकारी चेक कर लें।

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टीबी रोगियों को अब सरकार देगी हर महीने आर्थिक सहायता, indian government will give economic support for tuberculosis patient till their treatment

भारत सरकार अब टीबी से पीड़ित मरीजों को हर महीने 500 रुपये देने का प्लान बना रही है। इसका उद्देश्य पौषक आहार को सुनिश्चत करना और बीमारी के दौरान आने-जाने का खर्च का व्यय रोगी पर न पड़े और वह बिना रुकावट के अपना इलाज पूरा करा सके। टीबी के रोगी लगभग 25 लाख है और यह सहायता रोगी की आय को ध्यान में न रखते हुए सबको ही दी जाएगी। यह पहल टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय सामरिक योजना का हिस्सा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा टीबी से पीड़ित बच्चों को कड़वे स्वाद वाली दवाइयों की जगह अच्छे स्वाद वाली दवाएं दी जाएगी जो जल्दी घुल जाएंगी।
    भारत में टीबी के कारण आर्थिक नुकसान प्रतिवर्ष 20,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। विभिन्न दवाओं के संयोजन का उपयोग करते हुए टीबी के ज्यादातर लोगों को ठीक कर सकते हैं। सर्जरी कभी-कभी टीबी के इलाज के लिए ही इस्तेमाल की जाती हैं। खुराक ही टीबी के लिए एकमात्र प्रभावी उपचार है। टीबी का पूरा उपचार चिकित्सक के साथ-साथ रोगी की भी जिम्मेदारी है। कई बार रोगी को यह पता ही नही चलता है कि उसे टीबी हो गई है। कई लोग इसका इलाज पूरा होने से पहले ही दवाई खाना छोड़ देते हैं तो इस कारण यह और ज्यादा खतरनाक बन जाती है फिर इसका इलाज कठिन और लंबा चलता है। इसलिए इसकी सारी खुराक को नियमित समय पर लेते रहना चाहिए, जब तक कि डॉक्टर के द्वारा इसे बंद करने को न कहा जाए।

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बीकानेर का केमल फेस्टिवल में आनंद लेते दिखे लोग camel festival of Bikaner attract many tourist

ऊँट और कलाकारों के रंगीन जुलूस के साथ, दो दिवसीय केमल फेस्टिवल त्यौहार आज से शुरू हुआ, जो 13 और 14 जनवरी तक चलेगा। मेले में भाग लेने के लिए करिसिंह स्टेडियम में इकट्ठे हुए घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए सुंदर कलाकारों के ऊंटों और प्रदर्शनियों का सशक्त आकर्षण है। यह जूनागढ़ के किले से शुरू हुआ और स्टेडियम में खत्म हुआ। पर्यटन, कला और संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित बीकानेर का यह महोत्सव जनवरी का वार्षिक आयोजन है। केमल फेस्टिवल राजस्थान के अन्य समारोहों के समान हैं। इसमें मुख्य रूप से ऊंट नृत्य, ऊंट दौड़, गर्दन झंकार ऊंट सवारी का शानदार प्रदर्शन शामिल है।
   आप केमल फेस्टिवल को देखने के अलावा वहाँ पर और अन्य पर्यटन स्थलों पर जाने का मन भी बना सकते हैं। जैसे कि जूनागढ़ का किला यह अपने जटिल पत्थर के नक्काशी के कारण प्रसिद्ध है। देवी कुंड जो राजपूताना और इस्लामी शैली की वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण पेश करता है। जैन मंदिर जो सुमातिनाथ को समर्पित है। यह जैन धर्म का पांचवां तीर्थंकर है। देशनोक मंदिर यह करनी माता के रूप में प्रसिद्ध है।

अब जल्दी ही खान-पान का विषय भी सिलेबस में शामिल किया जा सकता है, what is yellow book, it include in the syllabus verry soon

बच्चों में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना आज के समय मे बहुत आवश्यक बन गया है। FSSAI ने भी राज्यों से स्कूलों में सही भोजन के विषय पर अपनी पुस्तक का इस्तेमाल करने का आग्रह किया है। इसका उद्देश्य है की सभी को शुरुआत से ही खान-पान सबंधित समस्याओं के बारे में सतर्क रहा जाये। खाद्य नियामक FSSAI ने राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से स्कूल शिक्षा बोर्डों को 'येलो बुक' का इस्तेमाल करने के लिए सलाह दी है, जिसका लक्ष्य स्कूल के पाठ्यक्रम के माध्यम से सही खाने के लिए बच्चों को जागरूक करना है, सब कुछ सही रहा तो जल्दी ही यह पुस्तक सिलेबस में शामिल कर ली जाएगी।
        यह पुस्तक पिछले साल सितंबर में खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण FSSAI ने लाई थी, और यह 4-7 साल की आयु वर्ग के, 8-12 वर्ष और 13-17 वर्ष के बच्चों के लिए तीन श्रेणियों में शुरू की गई है। इसमें मजबूत खाद्य मानकों का विकास और सुरक्षित भोजन के लिए कोड का समर्थन करना, सकारात्मक विनियामक वातावरण बनाना, एक विश्वसनीय और मजबूत राष्ट्रीय खाद्य परीक्षण प्रणाली की स्थापना करना और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और स्वस्थ आहार की आदतों को बढ़ावा देना शामिल है। इसमें संतुलित भोजन खाने से भरपूर, पौष्टिक भोजन-पैकिंग करने के लिए कई विषयों को शामिल किया गया है। यह पोषण संबंधी कमियों को रोकने और स्वस्थ विकल्प बनाने पर जोर देता है। इस पुस्तक में स्कूल के बच्चों के लिए उपयोगी टिप्स और दिलचस्प गतिविधियां शामिल हैं। यह स्वतंत्र रूप से एक गाइड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

मोटापा का कारण सिर्फ खान-पान ही नही है और भी कारण हो सकते हैं जानिये विस्तार से , cause of obesity is not only food but it can also by genetically

मोटापा अधिक खान-पान जो ज्यादा एनर्जी देता है तथा कम शारिरिक व्यायाम या फिर शरीर की ऊर्जा के कम उपयोग से होता है परंतु यह केवल अकेला मोटापे का कारण नही हो सकता है। कुछ लोग मोटापे को अपनी विरासत से भी प्राप्त करते हैं। रिसर्चर ने मोटापे के लिए उत्तरदायी जीन में म्यूटेशन का पता लगा लिया है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि मोटापे के आनुवांशिक कारणों और उनमें नए अनुसंधान से उनके इलाज के नए तरीके खोजने में यह बहुत काम आ सकता है। लंदन में किये गए शोध में पाया गया कि पाकिस्तान में बच्चों में होने वाले मोटापे में लगभग 30 प्रतिसत जनेटिक कारणों से होते हैं। शोध में यह भी पाया गया है कि इस तरह के केस रिसेसिव म्युटेशन के कारण होते हैं, जो कि विरासत में आने की अधिक संभावना पाकिस्तान की तरह के क्षेत्र जहाँ पर अंतर-पारिवारिक रिश्ते ज्यादा होते हैं, पायी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि माता-पिता, जो निकटता से संबंधित हैं, एक ही म्युटेशन ले जाने की अधिक संभावना रखते हैं, इसलिए बच्चे में दोनों तरफ से एक ही जीन प्राप्त करने के कारण मोटापे का जीन प्रभावी हो सकता है।
     रिसेसिव और डोमिनेंट क्या होता है। डोमिनेंट का मतलब अधिक प्रभावी और रिसेसिव का मतलब कम प्रभावी होता है। दो प्रकार के एलील एक जो माता तथा एक पिता से प्राप्त किये जाते हैं। ये दो एलील ही लक्षण जैसे कि रंग, लंबाई ,सिर पर कम बाल या अधिक बाल आदि के लिए जिम्मेदार होते हैं। एक ही एलील के होने पर भी लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे हम उसे डोमिनेंट कहते हैं जबकि रिसेसिव में दोनों एलील का एक साथ पाया जाना जरूरी होता है। अगर कोई बीमारी या कोई अन्य लक्षण डोमिनेंट होगा तो एक एलील के होने पर ही उजागर हो जाता है तथा रिसेसिव होने पर वह एक एलील में होने पर उजागर तो नही होता परंतु वह इस लक्षण का वाहक कहलाता है जो आने वाली पीढ़ी में एक एलील के और मिल जाने पर उजागर होता है। जीन सीधे तौर पर प्रोटीन के उत्पादन को प्रभावित करता है और आप तो जानते ही हैं कि प्रोटीन हमारे लगभग सारे लक्षण और बीमारी को प्रभावित करता है। यदि हमारी जानकारी आपको पसंद आती है तो हमे लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें।

अब घर बैठे मोबाइल को आधार से लिंक करे जाने विस्तार से, how to update adhar number in mobile phone sim

भारत सरकार ने सिम कार्ड को आधार नम्बर से जोड़ने की तारीख तो मार्च तक बड़ा दी है, लेकिन वैरीफिकेशन तो अभी भी जारी है। अब सभी टेलीकॉम सब्सक्राइबर एक नम्बर पर कॉल करके अपने सभी नंबरो को वेरीफाई करा सकते हैं। पहले टेलीकॉम कंपनियों के स्टोर तक जाने की मजबूरी हुआ करती थी। अब घर बैठे ये काम किया जा सकता है, बस IVR सेवा का उपयोग आपको करना है। आपके पास आधार नबंर होना चाहिए। अब चाहे आप किसी भी ऑपरेटर का फोन उपयोग करते हैं, किसी भी मोबाइल सर्विस का उपयोग करते हैं। तो आइये हम आपको इसका तरीका बताते हैं-
      आपको कॉल करना है टोल फ्री नंबर 14546 यहां IVR निर्देश आने लगेंगे उन्हें सुनकर सही निर्देश का पालन करना है। सबसे पहले नागरिकता के बारे में पूछा जाएगा क्या आप भारतीय हैं या NRI ? आपको सही विकल्प चुनना है। इसके बाद 1 दबाकर आप अपने फोन को आधार से लिंक करने की अनुमति दें। इसके बाद आपको अपना आधार नंबर टाइप करना है और इसकी पुष्टि के लिये 1 दबाना है ऐसा करने पर आपके मोबाइल फोन पर OTP यानी वन टाइम पासवर्ड आएगा। अब ये पासवर्ड अपने फ़ोन नंबर पर डाल देना है। अब टेलीकॉम ऑपरेटर को UIDAI के डाटाबेस से आपका नाम फोन, जन्म की तिथि का ब्यौरा लेने की अनुमति देनी है, इसके बाद में आपके फोन के आखिरी चार अंक दिखाए जाएंगे ताकि ये पुष्टि हो सके कि आपने सही नंबर दिया है। अगर नम्बर सही है तो SMS के द्वारा एक OTP आएगा, बस उसका इस्तेमाल करना है और वैरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 1 दबाना है। अगर आपके पास कोई और नम्बर है यानी आप एक से ज्यादा नंबरों का उपयोग करते है तो 2 दबाना है अब इसके बाद पूरी प्रोसेस को दोबारा पूरी करना है। इस तरह आपका दूसरा नंबर भी आधार से लिंक हो जाएगा। लिंक करने के समय जो भी OTP भेजे जाते हैं वह 30 मिनिट के लिए मान्य होते है यानी कि अगर लिंक करने के समय आपका फोन कट जाता है तो आप उसी OTP से अपने मोबाइल को आधार से लिंक कर सकते हैं। आपको बता दे कि ये जो नम्बर 14546 दिया है यह पूरी तरह से टोल फ्री है यानी कि इसमें कॉल का कोई चार्ज नही देना होगा। यदि आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर करें। इस प्रक्रिया को पूरा करनें में कोई असुविधा हो तो हमें कमेंट में बताऐ।