कैसा लगेगा यदि फल-फूल और सब्जियां पूरी तरह से खत्म हो जाएं

कुछ समय मे भंवरो और तितलियों की संख्या में इतनी कमी आई है कि यह अब चिंता का विषय बनता जा रहा है और इसका सीधा प्रभाव फसलों और फलों के उत्पादन पर पड़ा है। यह बात आप सभी लोग जानते होंगे कि तितलियां भँवरे मधुमक्खियां और अन्य तरह के कीट प्राकृतिक रूप से परागण का कार्य करते हैं।वैज्ञानिकों ने ऐसे कीटनाशकों का पता लगाया जो इन कीटों के घटती आबादी के लिए उत्तरदायी हैं। वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी दी है कि जल्दी ही कुछ नही किया गया तो परागकण न होने के कारण खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है।
वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में पाया गया है कि तितलियों भंवरो और अन्य तरह के उड़ने वाले कीटों की संख्या में 76 प्रतिसत तक कि कमी आई है यहाँ तक कि वैज्ञानिकों ने पूरे इकोसिस्टम यानी पर्यावरण के खत्म होने की भी संभवना बताई है।

भारत की बात की जाए तो यहां पर भी स्थिति गंभीर है यहां फूलों की घांटी के आस-पास के आंकड़े से लगता है कि जल्दी ही यह सिर्फ किताबों तक ही सीमित रह जायेगा। इनकी घटती संख्या का असर पक्षियों पर भी पड़ता है क्योंकि ये इन कीटों को खाते हैं।

यूरोपीय संघ के 28 देशों के प्रतिनिधियों ने एक बहुमत से भंवरो और मधुमक्खियों के लिए हानिकारक कीटनाशकों पर बैन लगाने का निर्णय लिया है। यूरोपीय संघ ने 2013 में इस तरह के कीटनाशकों पर आंशिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। इससे 2018 के अंत तक इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा अब इनका उपयोग बस पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस में ही किया जाएगा। जर्मनी में 1989 से अब तक तीन चौथाई कीट खत्म हो गए हैं। उड़ने वालों कीटो का इस तरह कम होना पूरे संसार का विनाश कर सकता है।

हम जो फल और सब्जियां खाते हैं उस पर कितना कीटनाशक मिला यह जानकर आप चौंक जाएंगे। शौध में पाया गया है कि सामान्य तरह से उगाये जाने वाले फलों और सब्जियों में 230 से अधिक प्रकार के कीटनाशक या उसी तरह के अन्य उत्पादों का उपयोग किया गया है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में पाया कि पालक और स्ट्राबेरी में सबसे अधिक पेस्टिसाइड की मात्रा पाई गई है। जब स्ट्राबेरी के एक सैंपल को जांचा गया तो उसमे 20 अलग अलग तरह के पेस्टिसाइड पाए गए हैं, पालक में उसके बजन से दो गुना ज्यादा पेस्टिसाइड पाया गया है। 12 ऐसे फलों और सब्जियों लिस्ट बनाई गई है जिसमे पेस्टिसाइड मात्रा सबसे अधिक पाई गई है। इनमें सेब, अंगूर ,आडू, चेरी, नाशपाती, टमाटर, आलू, सेलरी और स्वीट बेल पेपर शामिल हैं। मनुष्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है इससे जनन की क्षमता, फेफड़ों, मस्तिष्क और भी अन्य तरह के अंगों पर प्रभाव डालते हैं।

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