क्या प्राइवेट बैंको में आपका पैसा सुरक्षित है, लोग एसबीआई/पीएनबी पर ही भरोसा क्यो करते हैं

सरकारी और निजी बैंको के बीच में एक बड़ा अंतर पाया जाता है। लोग एसबीआई और पीएनबी जैसे बैंको का अधिक उपयोग करते है और इन्ही बैंको की ज्यादा बुराई भी की जाती है। एसबीआई और पीएनबी दोनों ही सरकारी बैंकों की श्रेणी में आते हैं। प्राइवेट बैंको में हर चीज का चार्ज बसूला जाता है जबकि सरकारी बैंक हमारे लिए सस्ते होते हैं। दोनों ही बैंको पर सरकार और रिजर्व बैंको का नियंत्रण होता है।

पब्लिक सेक्टर बैंक वह होता हैं जिसमें शेयर का अधिकतर हिस्सा सरकार के पास रहता है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में शेयरों का बड़ा हिस्सा शेयर धारकों के पास होता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पब्लिक सेक्टर का बैंक है और आईसीआईसीआई बैंक प्राइवेट सेक्टर का बैंक है। दोनों ही तरह के बैंकों में एक ही प्रकार की सुविधा दी जाती है पर कार्य के समय मे अंतर देखा जा सकता है। इनके ब्याज दरों में भी थोड़ा बहुत अंतर देख सकते हैं।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक पब्लिक सेक्टर बैंक है और उसके 58.87% हिस्से पर सरकार का नियंत्रण रहता है। पब्लिक सेक्टर के बैंको में सरकार की 50% से ज्यादा की हिस्सेदारी रहती है। इसी कारण इन बैंको को सरकारी बैंक भी कहा जाता है। राष्ट्रीयकृत बैंको पर सरकार का पूरा नियंत्रण रहता है। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े बैंक शामिल हैं।

निजी क्षेत्र के बैंको के सारे अधिकार उसके शेयर धारकों के हाथ में रहती है। इस प्रकार के बैंक निजी एक समूह के द्वारा संचालित किए जाते हैं। 1990 के बाद से देश में निजी क्षेत्र के बैंको की संख्या में बढ़ौतरी हुई है। इसका कारण यह है कि आर्थिक उदारीकरण के बाद से निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए लाइसेंस प्रणाली आसान कर दी गई है।

पब्लिक सेक्टर के बैंकों की ब्याज दरें अधिक होती हैं और ऋण देने पर ये बैंक ब्याज दरों में थोड़ी सहूलियत भी देते हैं। काम जल्दी निपटाने और थोड़ी अच्छी सुविधा देने के मामले में प्राइवेट बैंको का नाम आता है और यह बैंक इन सुविधाओं का अतिरिक्त शुल्क भी लेते हैं। जबकि सरकारी बैंक कम शुल्क पर अधिक सुविधा देने की कोशिश की जाती है।

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